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नई दिल्ली: दूसरे चरण के मतदान में बस दो दिन बाकी है और इससे पहले पीएम मोदी की ओर से दिए बयान पर विवाद गहरा गया है। देश की संपत्ति मुस्लिमों में बांटने को लेकर पीएम मोदी के दिए बयान की कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने आलोचना की है। बयान के अगले दिन यानी सोमवार को कांग्रेस नेताओं का एक दल चुनाव आयोग के पास पहुंचा और मोदी के भाषण को लेकर आयोग के सामने अपनी आपत्तियां जाहिर कीं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमने चुनाव आयोग के सामने 17 शिकायतें दर्ज कराई हैं। सिंघवी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पद पर आसीन एक व्यक्ति ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लंघन किया है। वहीं चुनाव आयोग ने राजस्थान के बांसवाड़ा के जिला निर्वाचन अधिकारी से पीएम मोदी के भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने को कहा। जिला चुनाव कार्यालय के पास अखबार की कटिंग और चैनल क्लिप के साथ इन्हें जमा करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है। वहीं विपक्ष के ऐतराज पर भी पीएम मोदी बैकफुट पर नजर नहीं आए और यूपी के अलीगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई और संपत्ति पर है। दूसरे चरण की वोटिंग से ठीक पहले एक नई चुनावी बहस शुरू हो गई है।
बांसवाड़ा की रैली के बाद अलीगढ़ में मोदी ने क्या कहा
राजस्थान के बांसवाड़ा में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की गाढ़ी कमाई और संपत्ति घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे वाले लोगों को देने की है। मोदी ने इस रैली में कहा कि पहले जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी तो उन्होंने कहा था की देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे?... जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे। इस बयान को लेकर सियासी बवाल के बीच अगले ही दिन पीएम मोदी ने अलीगढ़ की रैली में कहा कि कांग्रेस और SP ने पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों की समाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए कुछ नहीं किया। मोदी ने कहा, मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई और संपत्ति पर है। कांग्रेस के शहजादे का कहना है कि उनकी सरकार आई तो कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है, उसकी जांच करेंगे। वह कहते हैं कि यह जो संपत्ति है उसको सरकार अपने कब्जे में लेकर सबको बांट देगी। यह उनका चुनाव घोषणा-पत्र कह रहा है।
पीएम मोदी के बयान पर विपक्ष की ओर से क्या उठाए गए सवाल
कांग्रेस के संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को उन पर निशाना साधा, साथ ही चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने ऐसे बयान दिए, जो प्रधानमंत्री पद को शोभा नहीं देते। उन्होंने कहा कि पीएम कुछ ऐसी बात कर रहे हैं, जो कांग्रेस के घोषणापत्र में है ही नहीं और वह चुनावी लाभ के लिए देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी घोषणापत्र के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी देने के लिए मिलने का समय मांगा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पीएम मोदी के बयान के संबंध में दिल्ली पुलिस आयुक्त को शिकायत भेजी है। पार्टी के मुताबिक, उसने यह कदम राष्ट्रीय राजधानी के एक थाने के शिकायत दर्ज करने से मना करने के बाद उठाया है। माकपा ने एक बयान में कहा कि पार्टी नेता वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए मंदिर मार्ग थाना प्रभारी से संपर्क किया। पार्टी ने कहा चूंकि मंदिर मार्ग थाने ने शिकायत स्वीकार करने से इनकार कर दिया, इसलिए इसे दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भेज दिया गया है। आम आदमी पार्टी, सपा, आरजेडी समेत कई दूसरे दलों ने भी सवाल उठाए हैं। वहीं बीजेपी भी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंच गई। बीजेपी की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी देश में गरीबी बढ़ने का झूठा दावा कर रहे हैं।
सियासी घमासान के बीच एक नए मुद्दे पर बहस हो गई शरू
कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं तो वहीं बीजेपी की ओर से भी पलटवार जारी है। बीजेपी की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी कहा है, वह सच बोला है और देशवासियों से जुड़ी हकीकत है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस का सच कह दिया, जो विपक्ष को सहन नहीं हो रहा। तुष्टीकरण कांग्रेस की संस्कृति रही है। चुनावी जानकारों का कहना है कि पहले चरण में जहां किसी मुद्दे की शोर नहीं सुनाई पड़ी वहीं दूसरे चरण से पहले पीएम मोदी ने विपक्ष को हिंदुत्व की पिच पर खेलने को मजबूर किया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 18 साल पुराने बयान को लेकर आज भी सवाल खड़े किए जा रहे है। विपक्ष के कई नेता भले ही इस बात को कह रहे हैं कि बीजेपी पहले चरण में पिछड़ रही है इसलिए यह मुद्दा लाया गया है। इस दावे को भी कुछ चुनावी जानकारी खारिज कर रहे हैं। उनकी ओर से कहा गया कि अभी चुनाव की शुरुआत है और ऐसा भी हो सकता है कि बीजेपी की रणनीति के आगे विपक्ष हिंदुत्व के पिच पर आने को मजबूर हो जाए। 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान है लेकिन एक बात यह तय हो गई है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों की ओर से यह मुद्दा बना रहेगा।
बांसवाड़ा की रैली के बाद अलीगढ़ में मोदी ने क्या कहा
राजस्थान के बांसवाड़ा में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की गाढ़ी कमाई और संपत्ति घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे वाले लोगों को देने की है। मोदी ने इस रैली में कहा कि पहले जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी तो उन्होंने कहा था की देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे?... जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे। इस बयान को लेकर सियासी बवाल के बीच अगले ही दिन पीएम मोदी ने अलीगढ़ की रैली में कहा कि कांग्रेस और SP ने पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों की समाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए कुछ नहीं किया। मोदी ने कहा, मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई और संपत्ति पर है। कांग्रेस के शहजादे का कहना है कि उनकी सरकार आई तो कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है, उसकी जांच करेंगे। वह कहते हैं कि यह जो संपत्ति है उसको सरकार अपने कब्जे में लेकर सबको बांट देगी। यह उनका चुनाव घोषणा-पत्र कह रहा है।
पीएम मोदी के बयान पर विपक्ष की ओर से क्या उठाए गए सवाल
कांग्रेस के संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को उन पर निशाना साधा, साथ ही चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने ऐसे बयान दिए, जो प्रधानमंत्री पद को शोभा नहीं देते। उन्होंने कहा कि पीएम कुछ ऐसी बात कर रहे हैं, जो कांग्रेस के घोषणापत्र में है ही नहीं और वह चुनावी लाभ के लिए देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी घोषणापत्र के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी देने के लिए मिलने का समय मांगा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पीएम मोदी के बयान के संबंध में दिल्ली पुलिस आयुक्त को शिकायत भेजी है। पार्टी के मुताबिक, उसने यह कदम राष्ट्रीय राजधानी के एक थाने के शिकायत दर्ज करने से मना करने के बाद उठाया है। माकपा ने एक बयान में कहा कि पार्टी नेता वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए मंदिर मार्ग थाना प्रभारी से संपर्क किया। पार्टी ने कहा चूंकि मंदिर मार्ग थाने ने शिकायत स्वीकार करने से इनकार कर दिया, इसलिए इसे दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भेज दिया गया है। आम आदमी पार्टी, सपा, आरजेडी समेत कई दूसरे दलों ने भी सवाल उठाए हैं। वहीं बीजेपी भी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंच गई। बीजेपी की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी देश में गरीबी बढ़ने का झूठा दावा कर रहे हैं।
सियासी घमासान के बीच एक नए मुद्दे पर बहस हो गई शरू
कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं तो वहीं बीजेपी की ओर से भी पलटवार जारी है। बीजेपी की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी कहा है, वह सच बोला है और देशवासियों से जुड़ी हकीकत है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस का सच कह दिया, जो विपक्ष को सहन नहीं हो रहा। तुष्टीकरण कांग्रेस की संस्कृति रही है। चुनावी जानकारों का कहना है कि पहले चरण में जहां किसी मुद्दे की शोर नहीं सुनाई पड़ी वहीं दूसरे चरण से पहले पीएम मोदी ने विपक्ष को हिंदुत्व की पिच पर खेलने को मजबूर किया है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 18 साल पुराने बयान को लेकर आज भी सवाल खड़े किए जा रहे है। विपक्ष के कई नेता भले ही इस बात को कह रहे हैं कि बीजेपी पहले चरण में पिछड़ रही है इसलिए यह मुद्दा लाया गया है। इस दावे को भी कुछ चुनावी जानकारी खारिज कर रहे हैं। उनकी ओर से कहा गया कि अभी चुनाव की शुरुआत है और ऐसा भी हो सकता है कि बीजेपी की रणनीति के आगे विपक्ष हिंदुत्व के पिच पर आने को मजबूर हो जाए। 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान है लेकिन एक बात यह तय हो गई है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों की ओर से यह मुद्दा बना रहेगा।
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